भजनलाल सरकार ने बंद की गहलोत की 100 करोड़ की योजना
Rajasthan News : राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही नई सरकार का काम अक्सर पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं में बदलाव करने के रूप में देखा जाता है। 2023 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में फिर से बीजेपी ने सत्ता में वापसी की, और भजनलाल सरकार ने आते ही गहलोत सरकार की कई योजनाओं पर कैंची चलानी शुरू कर दी। इससे न केवल राजनीति में हलचल मच गई, बल्कि जनता में भी इस बदलाव को लेकर कई सवाल उठने लगे।
राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की परंपरा
राजस्थान में पिछले 30 वर्षों से सत्ता परिवर्तन का सिलसिला जारी रहा है। हर पांच साल में सत्ता का रुख बदलता रहा है। गहलोत सरकार के बाद बीजेपी ने सत्ता में आते ही कुछ बड़े फैसले लिए, जिनमें पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं पर बदलाव करना प्रमुख था। यह राजनीति का एक सामान्य हिस्सा बन चुका है, जहां सत्ता बदलने के बाद नई सरकारें अपनी पहचान बनाने के लिए पुराने कार्यक्रमों और नीतियों में संशोधन करती हैं।
बीजेपी द्वारा गहलोत सरकार की योजनाओं पर कैंची
भजनलाल सरकार ने सत्ता में आते ही गहलोत सरकार की कई प्रमुख योजनाओं को बंद या बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इन बदलावों के कारण राज्य में सियासत भी गरम हो गई। आइए जानते हैं उन योजनाओं के बारे में, जिन्हें नए सरकार ने बदलने की कोशिश की:
आंगनवाड़ी योजनाओं में बदलाव
गहलोत सरकार की आंगनवाड़ी योजनाओं को लेकर भजनलाल सरकार ने कई बदलाव किए, जिनका उद्देश्य सेवा वितरण की गुणवत्ता को बढ़ाना और भ्रष्टाचार पर काबू पाना था। इन योजनाओं में हो रहे बदलावों को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना
इस योजना के तहत गहलोत सरकार ने कई सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की शुरुआत की थी, जैसे वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, और छात्रवृत्ति योजनाएं। बीजेपी सरकार ने इन योजनाओं के प्रशासन में सुधार करने के बजाय उन्हें नए सिरे से लागू करने की योजना बनाई।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बदलाव
गहलोत सरकार द्वारा गरीबों के लिए की गई खाद्यान्न वितरण योजनाओं को लेकर भी भजनलाल सरकार ने कई सुधार किए। नए प्रशासन ने राशन वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई तकनीकी उपायों का प्रस्ताव रखा, जिससे कई लाभार्थियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।