हरियाणा कौशल रोजगार निगम की नियुक्तियां विवादों में घिरी, जानें क्या है पूरा मामला
HKRN: हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) द्वारा अनुबंध आधार पर की गई नियुक्तियां अब कानूनी विवादों में फंसी हुई हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को इस मामले में नोटिस जारी किया है। कोर्ट का कहना है कि सरकारी नियुक्तियों को लेकर दिए गए निर्देशों का उल्लंघन किया गया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
क्या है मामला?
अवमानना याचिका में याचिकाकर्ता जगबीर मलिक ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए अनुबंध आधार पर नियुक्तियां दी हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया है।
हाई कोर्ट द्वारा 13 अगस्त 2004 को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया था, जिसके तहत हरियाणा सरकार और उसके सभी विभागों को परियोजना कार्यों या निर्दिष्ट अवधि के कार्यों को छोड़कर, अनुबंध और दैनिक वेतन के आधार पर नियुक्ति करने से रोक दिया गया था। इसके बावजूद, हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के माध्यम से लाखों स्वीकृत पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं।
हरियाणा कौशल रोजगार निगम की नियुक्तियों पर विवाद
HKRN के तहत विभिन्न पदों के लिए, जैसे कि प्राथमिक शिक्षक (PRT), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT), स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT), जूनियर इंजीनियर (JE), फोरमैन, लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर, और स्टाफ नर्स आदि, उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। याचिकाकर्ता ने इसे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों के खिलाफ बताया है।
कोर्ट ने दिया आदेश
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के सह अध्यक्ष विवेक जोशी और सीईओ अमित खत्री को आदेश दिया है कि वे इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अधिकारियों ने कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक रोजगार में तदर्थवाद और अनुबंध के आधार पर नियुक्तियों पर बार-बार सख्त निर्देश दिए थे। इन निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सार्वजनिक पदों पर नियुक्तियां केवल संवैधानिक तरीके से और स्थाई रूप से की जाएं, न कि अनुबंध आधार पर। इसके बावजूद, हरियाणा सरकार ने HKRN के तहत लाखों स्वीकृत पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किए, जो कि इन न्यायिक आदेशों के खिलाफ हैं।