Potato cultivation: इस विधि से करें आलू की खेती, बम्पर पैदावार का गारंटी
Potato cultivation: आलू की खेती एक ऐसा कंद उत्पाद है, जो न केवल खाने में आवश्यक है बल्कि औद्योगिक उपयोग में भी अहम भूमिका निभाता है। आलू के उत्पादन में कृषि रसायन और मृदा विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके साथ ही, इस फसल को सही तरीके से उगाने और देखभाल करने से किसानों को शानदार पैदावार मिल सकती है। इस लेख में हम आलू की खेती के आसान उपायों पर बात करेंगे, जिनसे किसान दोगुनी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और अपने खेतों को सुरक्षित भी रख सकते हैं।
आलू की बुवाई से पहले आवश्यक तैयारी
आलू की बुवाई से पहले कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता होती है, ताकि फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली हो। प्रो. डॉ. अशोक कुमार सिंह, मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष के अनुसार, आलू के कंद को 4% बोरिक एसिड पाउडर से उपचारित करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, एग्लाल या एरिटान जैसे एंटीफंगल उत्पादों में डुबोकर बीज को बोना चाहिए। इससे बीज स्वस्थ रहता है और बीमारी से बचाव होता है।
आलू की बुवाई के बाद खतरे और उपाय
आलू की बुवाई के बाद, खासकर 20 दिसंबर के बाद मौसम में बदलाव के साथ कुछ खतरनाक रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इनमें प्रमुख रोग अगेती झुलसा, पछेती झुलसा और फफूंद शामिल हैं।
- अगेती झुलसा
यह बीमारी बुवाई के पहले दौर में होती है, लेकिन इसका समय बीत चुका होता है।
- पछेती झुलसा
यह रोग 20 दिसंबर के बाद तेजी से फैल सकता है और फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
- फफूंद
यह फसल के लिए अत्यधिक हानिकारक होती है और जल्दी फैलने लगती है।
इन समस्याओं से बचने के लिए, किसानों को निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए:
पहले के दौर में हाई स्पेक्ट्रम दवाओं का उपयोग किया जाता था जैसे कि इंडो फिलियम 45, डाईथैनियम 45। लेकिन अब इंडो फिलियम 45 और कार्बेन्डाजिम का मिश्रण दवा बाजार में उपलब्ध है। इसे 100 लीटर पानी में 200 ग्राम तक मिलाकर छिड़काव करें।
पोटाश का प्रयोग
एक महीने बाद, जब फसल थोड़ी बड़ी हो जाए, तो 100 लीटर पानी में 1 किलो पोटाश मिलाकर छिड़काव करें। इससे फसल स्वस्थ रहेगी और उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। जनवरी में एक और छिड़काव करें ताकि फसल को पूरी तरह से सुरक्षित किया जा सके।
आलू की खेती में सावधानियां
आलू की खेती में अत्यधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे फसल की जड़ें सड़ सकती हैं। आलू के लिए उपयुक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है, जो न तो बहुत भारी हो और न ही बहुत हल्की हो। उपयुक्त मृदा आलू की अच्छी वृद्धि में सहायक होती है।आलू के बीज के साथ यदि कोई रोग हो तो उसे तुरंत अलग कर दें ताकि वह पूरे खेत में न फैल जाए।