Electric Cars : क्या सच में सेफ नहीं है सीएनजी गाड़ियां, जग्गी वासुदेव का बड़ा दावा!
Electric Cars : प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि जब तक बिजली उत्पादन का मुख्य स्रोत कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन रहेगा, तब तक इलेक्ट्रिक वाहनों से प्रदूषण कम करना संभव नहीं है।
जग्गी वासुदेव ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से बेचना व्यर्थ है, जब तक कि बिजली उत्पादन का मुख्य स्रोत कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन बने रहेंगे। उनका कहना था कि भले ही इलेक्ट्रिक वाहन (EV) से धुआं न निकले, लेकिन वास्तविक पर्यावरणीय लाभ तब तक नहीं हो सकता जब तक बैटरियों का निर्माण और बिजली उत्पादन पूरी तरह से साफ ऊर्जा से नहीं किया जाता।
भारत में बिजली उत्पादन का स्रोत
भारत में 50% बिजली का उत्पादन अभी भी कोयला से होता है। यह आंकड़ा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बिजली उत्पादन के लिए मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, पवन, सौर और जल विद्युत जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का योगदान लगभग 41% है।
बैटरियों का निर्माण और पर्यावरणीय प्रभाव
जग्गी वासुदेव का यह भी मानना है कि बैटरियों का निर्माण भी पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लिथियम, कोबाल्ट, और निकेल जैसे खनिजों का खनन और उनके प्रसंस्करण के दौरान होने वाली पर्यावरणीय क्षति को नकारा नहीं जा सकता।
जग्गी वासुदेव का यह बयान फिर से एक अहम सवाल उठाता है कि क्या हम इलेक्ट्रिक वाहनों को पर्यावरणीय समस्या का अंतिम समाधान मान सकते हैं। ईवी की उपयोगिता को सही मायनों में पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए बिजली उत्पादन के स्वच्छ स्रोतों पर जोर देना आवश्यक है। यदि कोयले की जगह पवन, सौर और जल ऊर्जा जैसे पर्यावरणीय स्रोतों पर ध्यान दिया जाए, तो भारत अपने कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य को जल्दी हासिल कर सकता है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक 50% कार्बन न्यूट्रल और 2070 तक पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल बनना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कई इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों को प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से बाहर निकलकर स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान देना सबसे बड़ी चुनौती है।