Electricity Bills: बिजली बिल उपभोक्ताओं के लिए आई खुशखबरी, महंगे बिजली बिलों से मिलेगा छुटकारा
Electricity Bills: जनवरी महीने में बिजली उपभोक्ताओं को बिलों में कुछ राहत मिलने की संभावना है क्योंकि फ्यूल सरचार्ज में 5 पैसे प्रति यूनिट की कमी आने वाली है. यह कमी विभिन्न राज्यों के बिजली निगमों द्वारा नियमित तौर पर की जाने वाली फ्यूल सरचार्ज की गणना से उपजी है.
प्रत्येक परिवार को कितनी राहत मिलेगी?
यदि कोई परिवार मासिक औसतन 300 यूनिट बिजली (monthly electricity consumption) का उपभोग करता है, तो उन्हें अगले बिजली बिल में लगभग 50 रुपये की राहत मिल सकती है. यह गणना प्रदेश के बिजली निगमों द्वारा हर तिमाही (quarterly calculation) के बाद की जाती है, जो आगामी तिमाही के बिजली बिलों में प्रति यूनिट दर में जोड़ी जाती है.
जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के नए आदेश
हाल ही में जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम (Jaipur, Jodhpur, and Ajmer DISCOMs) ने इस वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए फ्यूल सरचार्ज दरों की घोषणा की है. पहली तिमाही के लिए यह दर 49 पैसा प्रति यूनिट और दूसरी तिमाही के लिए 54 पैसा प्रति यूनिट निर्धारित की गई है.
फ्यूल सरचार्ज में कमी का उपभोक्ताओं पर असर
वर्तमान में, बिजली बिलों में 54 पैसा प्रति यूनिट के हिसाब से फ्यूल सरचार्ज जोड़ा जा रहा है. पहली तिमाही में इसमें 5 पैसा प्रति यूनिट की कमी (reduction in fuel surcharge) आई है, जिसे अगले माह के बिलों में शामिल किया जाएगा. इससे उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ होगा.
2024 की तीसरी तिमाही के लिए अनुमान
बिजली निगमों के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की तीसरी तिमाही का फ्यूल सरचार्ज और भी कम आंका जाएगा. इसके फलस्वरूप, अगले वर्ष जून के बाद उपभोक्ताओं को और अधिक राहत (further relief to consumers) मिलने की संभावना है.
अतिरिक्त वसूली की जल्द वापसी की मांग
ऊर्जा सलाहकार और रिटायर्ड इंजीनियर वाई.के. बोलिया के अनुसार, बिजली घरों (power plants) द्वारा अधिक वसूली की गई राशि को उपभोक्ताओं को जल्द से जल्द वापस करना चाहिए. बिजली उत्पादन इकाइयों (electricity production units) में कोयले की बड़ी खपत के दौरान उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त खर्च को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए.
तिमाही ईंधन खपत की गणना
प्रत्येक तिमाही में, बिजली दरों में ईंधन अधिभार (quarterly fuel surcharge calculation) की गणना के बाद, जो कोयले की दरों पर निर्भर करती है, इसे बिजली बिलों में जोड़ा जाता है. यह गणना सालभर के निर्धारित आधार ईंधन अधिभार को नियंत्रित करने में मदद करती है.