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Agriculture News: इन 2 फसलों की खेती करें किसान भाई, बम्पर पैदावार की गारंटी

12:29 PM Dec 11, 2024 IST | Vikash Beniwal
agriculture news  इन 2 फसलों की खेती करें किसान भाई  बम्पर पैदावार की गारंटी

Agriculture News: सिंचाई की कमी वाले इलाकों में गेहूं की जगह चना और राई की खेती को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता सीमित है, चना और राई कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं। इन फसलों की खेती से किसान न केवल पानी की बचत कर सकते हैं, बल्कि बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं।

चना और राई की खेती के फायदे

कम पानी की आवश्यकता
चना और राई की खेती को सिंचाई की केवल दो बार आवश्यकता होती है, जबकि गेहूं के लिए चार से पांच सिंचाई की जरूरत होती है। यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की कमी है।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना
चने की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती हैं, जिससे अगली फसलों की पैदावार में सुधार होता है। इससे किसानों को दीर्घकालिक लाभ मिलता है क्योंकि मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।

कम लागत में उच्च मुनाफा
चने की खेती में कम लागत लगती है और यह गेहूं की तुलना में कम खाद और पानी की खपत करती है। इसके अलावा, चना प्रोटीन से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

तीन प्रकार के उत्पाद
चना किसानों को तीन प्रकार के उत्पाद देता है: हरा चना, सूखा चना और साग। ये सभी उत्पाद बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं और किसानों को विविध आय के स्रोत प्रदान करते हैं।

चना और राई की खेती में सफलता के लिए टिप्स

उचित खेत का चुनाव
चना और राई की खेती के लिए दो नंबर वाले खेतों का चुनाव करें, जहां मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी हो। इससे फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार होता है।

समय पर जोताई और बीजाई
समय पर जोताई और बीजाई करना बेहद जरूरी है। इससे फसल की बेहतर वृद्धि होती है, और सिंचाई की कमी के बावजूद अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

कम पानी में उपज बढ़ाना
चना और राई की खेती सिंचाई की कमी वाले क्षेत्रों में भी अच्छे परिणाम देती है। इसके लिए एक बार सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था से उत्पादन में वृद्धि संभव है।

चना और राई की खेती के लिए उपयुक्त इलाके

कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जैसे पलामू और आसपास के इलाकों में चना और राई की खेती सबसे बेहतर विकल्प बनकर उभर रही है। डॉ. डी. एन. सिंह के अनुसार, इन फसलों की खेती से न केवल जलवायु के अनुरूप उत्पादन होता है, बल्कि किसानों को अधिक मुनाफा भी मिलता है।

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