Indian Railway: ट्रेन ड्राइवर को किस कारण दिया जाता है लोहे का छल्ला, जाने क्या होता है इसका काम
Indian Railway: भारतीय रेलवे (Indian Railways) का टोकन एक्सचेंज सिस्टम एक पारंपरिक तरीका है. जिसे रेलवे की सुरक्षा (train safety) को सुनिश्चित करने के लिए अपनाया गया था. यह प्रणाली उन जगहों पर अधिक प्रचलित है जहाँ सिग्नल की सुविधाएँ कम थीं या अनुपस्थित थीं. इस प्रणाली का उपयोग करते हुए. ट्रेन चालक को एक विशेष लोहे की रिंग (iron token) दी जाती है जो उसे आगे के स्टेशन तक ले जानी होती है. और यह सुनिश्चित करती है कि कोई दूसरी ट्रेन उसी ट्रैक पर नहीं आ रही है.
टोकन एक्सचेंज का परिचय और उद्देश्य
टोकन एक्सचेंज सिस्टम की शुरुआत उस समय की गई थी जब ट्रेन संचालन में अधिक सुरक्षा की जरूरत थी. इस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ट्रेनें बिना किसी आपसी टकराव के सुरक्षित रूप से चलें. खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ सिग्नलिंग सिस्टम की कमी थी.
टोकन एक्सचेंज की विशेषताएँ
टोकन एक्सचेंज सिस्टम में लोकोपायलट को स्टेशन से एक विशेष लोहे की रिंग (iron ring) दी जाती है जो आगे के स्टेशन पर वापस करनी होती है. यह सिस्टम आज भी भारत के कुछ हिस्सों में प्रचलित है. खासकर उन इलाकों में जहाँ आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम तक पहुँच नहीं है.
टोकन एक्सचेंज की आवश्यकता और महत्व
भारतीय रेलवे में टोकन सिस्टम आज भी उन स्थानों पर अहम भूमिका निभाता है जहाँ दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आवागमन करती हैं. इस सिस्टम के बिना दो ट्रेनों के बीच टकराव की संभावना हो सकती है. जिससे दुर्घटनाएँ हो सकती हैं.
भविष्य में टोकन सिस्टम की भूमिका
जैसे-जैसे भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर है. टोकन सिस्टम को भी धीरे-धीरे उन्नत तकनीकों से बदला जा रहा है. हालांकि आधुनिकीकरण के बावजूद कुछ स्थानों पर यह प्रणाली अभी भी महत्वपूर्ण है और उसका महत्व बरकरार है.