Haryana News: हरियाणा चुनाव के नतीजों से इस पार्टी की बढ़ी मुश्किलें, गंवाना पड़ सकता है चुनाव चिन्ह
Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों ने न केवल राजनीतिक पंडितों को, बल्कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को भी हैरान कर दिया है. भाजपा की अप्रत्याशित जीत (unexpected victory) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की स्थिति में आई गंभीर कमजोरी इस चुनाव के प्रमुख आकर्षण बने.
इनेलो के लिए बढ़ती मुश्किलें
इनेलो, जो हरियाणा की एक प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी है, इस बार केवल दो सीटें जीत पाई है और उसका वोट प्रतिशत भी 6% से कम रहा (political crisis). इस नतीजे ने पार्टी के सामने अपने क्षेत्रीय दल का दर्जा और चुनाव चिन्ह खोने का संकट खड़ा कर दिया है.
इनेलो के लिए चुनावी चिन्ह की चुनौती
कानून के अनुसार एक पार्टी को क्षेत्रीय दल का दर्जा बनाए रखने के लिए कम से कम 6% वोट और दो सीटें (legal requirements) जीतनी आवश्यक हैं. जो कि इनेलो ने आंशिक रूप से ही पूरा किया है. इसके अलावा अगर एक दल को राज्य में कम से कम 3% वोट मिलते हैं तो उसे कम से कम तीन सीटें भी जीतनी चाहिए जो कि इनेलो पूरा नहीं कर पाई है.
इनेलो का चुनावी परफॉरमेंस
इनेलो को 1998 में क्षेत्रीय दल का दर्जा तब मिला था जब उसने 4 लोकसभा सीटें जीती थीं. पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल की विरासत के बल पर हरियाणा में कई बार सत्ता संभाली और मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई. हालांकि हाल के चुनावों में इसकी स्थिति काफी कमजोर हुई है.
जेजेपी की स्थिति और आगे की चुनौतियां
इनेलो से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने 2019 के चुनावों में 10 सीटें हासिल की थीं, लेकिन इस बार उसे बड़ा झटका लगा है. फिर भी जेजेपी के पास क्षेत्रीय दल का दर्जा बनाए रखने का मौका बचा है. क्योंकि 2019 में उसे 15% वोट मिले थे और इस बार भी उसे एक और चुनाव में मौका मिलेगा.
चुनाव आयोग का निर्णय
अब सभी की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हुई हैं. जिसे इनेलो के क्षेत्रीय दल के दर्जे और चुनाव चिन्ह के भविष्य पर निर्णय लेना है. यह निर्णय न केवल इनेलो के भविष्य पर असर डालेगा. बल्कि हरियाणा की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेगा.