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Loan नहीं चुका पाए तो बन सकता है NPA, जानें इससे जुड़ी अहम जानकारियां

01:32 PM Nov 11, 2024 IST | Vikash Beniwal
loan नहीं चुका पाए तो बन सकता है npa  जानें इससे जुड़ी अहम जानकारियां

NPA:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्जधारक बैंक से लिया गया कर्ज 90 दिनों तक नहीं चुका पाता है, तो उस कर्ज को NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया जाता है। वहीं, अन्य वित्तीय संस्थाओं के लिए यह समय सीमा 120 दिनों की होती है। NPA की स्थिति कर्जधारकों और बैंकों दोनों के लिए गंभीर होती है।

NPA बनने पर क्या होता है?
जब कोई कर्ज NPA में बदलता है, तो इसका मतलब यह होता है कि बैंक को अब उस कर्ज की वसूली में समस्या हो रही है। इससे न केवल बैंक की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ता है, बल्कि कर्जधारक की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं।

Cibil रेटिंग पर असर
यदि किसी कर्जधारक का Loan NPA में बदलता है, तो सबसे पहला असर उसकी Cibil रेटिंग पर पड़ता है। Cibil रेटिंग खराब होने से व्यक्ति को भविष्य में नया कर्ज लेना मुश्किल हो सकता है।

कम ब्याज दरों पर Loan लेना कठिन: अगर Loan मिलता भी है, तो उस पर ब्याज दरें बहुत ज्यादा होती हैं।
फाइनेंशियल छवि खराब होती है: खराब Cibil से फाइनेंशियल संस्थाएं व्यक्ति को उच्च जोखिम वाला ग्राहक मानती हैं।

NPA की तीन श्रेणियां

NPA को बैंक तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटते हैं:

सबस्टैंडर्ड असेट्स: जब कोई Loan 12 महीने तक नहीं चुकाया जाता, तो उसे सबस्टैंडर्ड श्रेणी में रखा जाता है।
डाउटफुल असेट्स: एक साल बाद Loan सबस्टैंडर्ड से डाउटफुल असेट्स में आ जाता है।
लॉस असेट्स: जब बैंक को लगता है कि वसूली की संभावना खत्म हो गई है, तो इसे लॉस असेट्स में डाल दिया जाता है।

क्या होता है जब Loan चुकाया नहीं जाता?
बैंक शुरुआत में कर्जदार को रिमाइंडर भेजता है। इसके बाद नोटिस जारी किए जाते हैं।

नीलामी की प्रक्रिया:
यदि कर्ज चुकाने के लिए दिए गए सभी मौके समाप्त हो जाते हैं, तो बैंक प्रॉपर्टी को जब्त कर लेता है।
इसके बाद, बैंक प्रॉपर्टी की नीलामी करके कर्ज की रकम की वसूली करता है।
NPA का बैंक और कर्जधारक पर असर

बैंकों के लिए नुकसान:
बैंक का मुनाफा कम हो जाता है।
नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ता है।

कर्जधारक की परेशानियां:
वित्तीय प्रतिष्ठा खराब हो जाती है।
लीगल कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

NPA से बचने के उपाय
कर्ज समय पर चुकाएं: बैंक की किस्तें नियमित रूप से चुकानी चाहिए।
बजट बनाएं: अपनी आय और खर्च का सही से प्रबंधन करें।
बैंक से संपर्क करें: किसी समस्या के कारण किस्त चुकाने में देरी हो रही है, तो बैंक को पहले ही जानकारी दें।
रीपेमेंट विकल्प का चयन: कुछ बैंकों में कर्ज पुनर्गठन की सुविधा होती है, जिससे EMI का बोझ कम हो सकता है।

NPA को कैसे रोका जा सकता है?
सरकार और बैंक मिलकर NPA को रोकने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। जैसे:

ऋण पुनर्गठन योजनाएं: बैंकों द्वारा कर्जधारकों को सहूलियत दी जाती है।
सख्त क्रेडिट जांच: ऋण देने से पहले कर्जधारकों की वित्तीय स्थिति की गहन जांच की जाती है।
सरकारी योजनाएं: कई सरकारी योजनाएं, जैसे SARFAESI एक्ट, के जरिए बैंकों को वसूली का अधिकार मिलता है।

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