इस पेड़ की खेती कर ली तो बैठे-बैठे होगी कमाई, SIP-FD से ज्यादा मिलेगा रिटर्न
आजकल भारतीय किसान पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर नई फसलों की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. खासकर वे ऐसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं जिनसे उन्हें बेहतर मुनाफा मिल सके. इन नई फसलों में एक नाम तेजी से उभर रहा है और वह है महोगनी का पेड़. महोगनी न केवल औषधीय गुणों से भरपूर होता है बल्कि इसकी लकड़ी की भी बाज़ार में काफी डिमांड है. इस पेड़ की खेती किसानों के लिए एक सुनहरे अवसर की तरह साबित हो रही है.
महोगनी की लकड़ी की बाजार में बढ़ती डिमांड
महोगनी के पेड़ की लकड़ी की बाज़ार में काफी अधिक मांग है. इसका उपयोग मुख्य रूप से फर्नीचर, प्लाईवुड, जहाज निर्माण और साज-सज्जा के सामान बनाने में होता है. इसके अलावा, महोगनी की लकड़ी से मूर्तियां और कीमती गहने भी बनाए जाते हैं. यह लकड़ी न केवल मजबूत होती है, बल्कि इसकी गुणवत्ता भी बहुत उच्च स्तर की होती है. इसके चलते महोगनी का पेड़ किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन चुका है.
किसानों के लिए मुनाफे का बेहतरीन अवसर
महोगनी की खेती करने वाले किसानों को अब अच्छे मुनाफे का अनुभव हो रहा है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के सैदाहा गांव के किसान संग्राम सिंह हैं, जो महोगनी की खेती से लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. वह बताते हैं कि पहले वह पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन जब उन्होंने यूट्यूब पर महोगनी की खेती के बारे में देखा, तो उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया.
महोगनी की खेती की प्रक्रिया
महोगनी की खेती करना अपेक्षाकृत सरल है और इसे कम लागत में शुरू किया जा सकता है. सबसे पहले, आपको महोगनी के पौधे को नर्सरी से खरीदना होता है. संग्राम सिंह के अनुसार, उन्होंने वन विभाग से महोगनी के पौधे खरीदे थे, जिनकी कीमत लगभग 80 रुपये प्रति पौधा थी. इसके बाद, इन पौधों को खेतों में रोपा जाता है. रोपाई के लिए गड्ढा 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा होना चाहिए. जमीन को तैयार करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मिट्टी को बहुत रेतीला नहीं होना चाहिए.
किसान संग्राम सिंह का अनुभव
संग्राम सिंह बताते हैं कि महोगनी के पौधे रोपने के बाद, इनकी सिंचाई की जाती है और लगभग एक महीने बाद पौधे की ग्रोथ शुरू हो जाती है. वह कहते हैं कि महोगनी के पेड़ 12 साल में पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं और इनकी लकड़ी की कीमत करीब 50 हजार रुपये तक हो सकती है. उनके अनुसार, अगर किसान इस फसल को सही तरीके से उगाते हैं तो महोगनी की खेती से लाखों रुपये का मुनाफा मिल सकता है.
महोगनी की खेती में लागत और मुनाफा
महोगनी की खेती में बहुत अधिक लागत नहीं आती. संग्राम सिंह ने अपनी दो बीघे की जमीन पर महोगनी के करीब 30 पौधे लगाए थे, जिनकी कुल लागत लगभग 5 हजार रुपये आई थी. 12 साल बाद इन पेड़ों की लकड़ी की कीमत लाखों रुपये हो सकती है. इस प्रकार महोगनी की खेती किसानों के लिए एक सुरक्षित और मुनाफे वाली फसल साबित हो सकती है. (cost and profit of Mahogany farming)
महोगनी की देखभाल और रख-रखाव
महोगनी की देखभाल में कोई खास दिक्कत नहीं आती है. बस इसके पौधों की सिंचाई, खाद और समय-समय पर प्रबंधन जरूरी होता है. इसके पौधे नर्सरी से लाकर रोपे जाते हैं और एक महीने के भीतर इनकी ग्रोथ शुरू हो जाती है. सिंचाई के साथ-साथ, गोबर से तैयार खाद का उपयोग भी महोगनी के पौधों के लिए फायदेमंद होता है. 12 साल में यह पेड़ पूरी तरह से तैयार हो जाता है और इसकी लकड़ी का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जा सकता है.
महोगनी की खेती में सरकार की सहायता
भारत सरकार और राज्य सरकारें महोगनी की खेती को बढ़ावा दे रही हैं. वन विभाग के माध्यम से किसानों को महोगनी के पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं और इसके खेती के लिए तकनीकी सहायता भी दी जाती है. इसके अलावा, सरकार किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं के माध्यम से उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है, जिससे वे महोगनी की खेती को शुरू करने के लिए आवश्यक संसाधन जुटा सकते हैं.
महोगनी की खेती
महोगनी की खेती भारत के किसानों के लिए एक स्थिर और लाभकारी विकल्प बन चुकी है. इसकी खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह किसानों को उच्च मुनाफा भी देती है. यदि किसान महोगनी के पेड़ों की सही देखभाल करें और इसका सही तरीके से प्रबंधन करें तो वे इस फसल से लाखों रुपये कमा सकते हैं. महोगनी की खेती के बढ़ते चलन से यह स्पष्ट हो गया है कि यह भविष्य में और अधिक किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है.