कंगना रनौत 1947 को 'भीख' बताने के बयान के कारण कोर्ट में फंसीं, अदालत ने जारी किया नोटिस
Breaking: फिल्म अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सांसद कंगना रनौत फिर से विवादों में घिरती नजर आ रही हैं। यह मामला उनके 2021 में दिए गए एक बयान को लेकर है, जिसमें उन्होंने 1947 में मिली आजादी को "भीख" बताया था। इस बयान के खिलाफ जबलपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कंगना से इस बयान पर जवाब मांगा है, और अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।
इस विवाद का मुख्य कारण कंगना का वह बयान था, जिसमें उन्होंने कहा था कि "देश को 1947 में मिली आजादी भीख थी, असली आजादी तो 2014 में मिली"। इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं, और कंगना के खिलाफ एडवोकेट अमित साहू ने अदालत में परिवाद दायर किया था।
कंगना के खिलाफ आरोप
कंगना रनौत पर आरोप है कि उनके इस बयान से देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान हुआ है। कंगना के बयान को लेकर अधिवक्ता अमित साहू ने अदालत में कहा था कि 1947 में भारत को मिली आजादी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीरों के त्याग और बलिदान का परिणाम थी, और कंगना का बयान इन बलिदानियों का अपमान है। साहू ने अदालत से कंगना के खिलाफ केस दर्ज करने की अपील की थी।
कंगना का बयान और सियासत
कंगना के इस बयान से देश की सियासत में भी हलचल मच गई थी। उनके बयान पर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आई थीं। कई लोगों ने कंगना से पद्मश्री सम्मान वापस लेने की मांग की थी, जबकि कुछ ने इसे पूरी तरह से निंदनीय बताया था। कंगना ने बाद में इस बयान पर माफी भी मांगी थी, लेकिन अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए नोटिस जारी किया।
अदालत का रुख और अगली सुनवाई
जबलपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने कंगना के बयान को सही नहीं ठहराया और नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा। अदालत ने 5 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में यह तय करने का इरादा किया है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएं।