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Paddy MSP: मोदी सरकार ने धान उत्पादक किसानों की कर दी बल्ले-बल्ले, MSP से ज्यादा मिलेगा भाव

06:25 PM Oct 30, 2024 IST | Uggersain Sharma

Paddy MSP: केंद्र की मोदी सरकार (Central Govt) ने त्योहारों के अवसर पर एक अहम फैसला लिया है. जिसमें चावल निर्यात पर लगे 10% शुल्क को पूरी तरह हटा दिया गया है. इस फैसले से चावल निर्यातकों और धान उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा. जिससे मंडियों में चावल के दामों में तेजी आई है. इस बदलाव का असर (impact of rice export policy change) भारतीय मंडियों में भी दिख रहा है. जिससे चावल के भाव में बढ़ोतरी हो रही है.

दूसरी बार बदली गई चावल निर्यात नीति

यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने चावल निर्यात शुल्क (export duty on rice) में कटौती की है. सितंबर में सरकार ने गैर-बासमती उबले और भूरे चावल पर निर्यात शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया था. इस बार शुल्क पूरी तरह से हटाए जाने से निर्यातकों को एक नई राहत मिली है. जिससे निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है.

हरियाणा और पंजाब – चावल उत्पादन में अग्रणी

भारत में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य चावल उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. इन राज्यों में धान की अच्छी फसल होती है और यहां के किसान (rice producing states) चावल की खेती में आगे रहते हैं. सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) 2,300 से 2,320 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है. जिससे किसानों को और भी प्रोत्साहन मिलेगा.

अल-नीनो का प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय बाजार

पिछले साल अल-नीनो (El Nino effect on rice production) के कारण कम बारिश हुई थी. जिससे चावल उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा था. इसके अलावा भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल के दाम बढ़ गए थे. इस स्थिति का फायदा थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों ने उठाया था. जिनकी कीमतें भारतीय चावल की तुलना में कम थीं.

निर्यात शुल्क हटने से बढ़ेगी भारत की प्रतिस्पर्धा

निर्यात शुल्क हटाए जाने के बाद भारत का चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी (competitive Indian rice in global market) हो जाएगा. इससे भारतीय चावल अब विदेशी खरीदारों को और किफायती लगेगा. जिससे पाकिस्तान जैसे देशों को टक्कर मिलेगी. इस नीति से न केवल निर्यात में बढ़ोतरी होगी बल्कि भारत की विदेशी मुद्रा आय में भी इजाफा होने की संभावना है.

बासमती चावल की मांग में इजाफा

हरियाणा का बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद लोकप्रिय है. खासकर करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल जैसे जिलों का बासमती चावल (demand for basmati rice) अरब देशों में बड़े पैमाने पर पसंद किया जाता है. अब निर्यात शुल्क हटने के बाद उम्मीद है कि इन चावलों की मांग और भी बढ़ेगी. जिससे चावल उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.

चावल उद्योग में रोजगार के नए अवसर

भारत में चावल उद्योग से लाखों लोग जुड़े हुए हैं. जिसमें किसान चावल मिलों के कर्मचारी और निर्यातक (employment in rice industry) शामिल हैं. निर्यात शुल्क हटने के बाद चावल निर्यात बढ़ने से इन सभी को अधिक काम मिलेगा और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे. इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों में भारतीय चावल का प्रभुत्व बढ़ेगा.

किसानों को मिलेगा MSP से अधिक दाम

केंद्र सरकार के इस फैसले से न केवल निर्यातकों को फायदा होगा. बल्कि किसानों को भी अधिक दाम मिलने की संभावना है. PR धान जैसे चावल के भाव मंडियों में MSP से 30 से 100 रुपए अधिक (higher MSP for rice farmers) मिलने लगे हैं. इससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मुनाफा मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

बासमती चावल के लिए सुनहरा अवसर

भारत के बासमती चावल का महत्व वैश्विक बाजार में (Indian basmati rice in global market) सबसे अधिक है. निर्यात शुल्क में कमी के बाद भारतीय बासमती चावल को और भी नए बाजार मिल सकते हैं. जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.

क्या बदल सकती है अंतरराष्ट्रीय चावल बाजार की स्थिति?

भारतीय चावल की कीमतों में बदलाव अंतरराष्ट्रीय बाजार (global rice market) में हलचल मचा सकता है. इससे न केवल भारत के निर्यात में इजाफा होगा. बल्कि अन्य चावल उत्पादक देशों के लिए भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इसके साथ ही भारतीय चावल की गुणवत्ता भी वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाए रखने में सहायक होगी.

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