बिहार की जनता को मिलेगी नए एक्सप्रेसवे की सौगात, इन 9 जिलों और 17 जिलों का सफर हो जाएगा आसान
बिहार ने आजादी के 75 वर्षों के बाद अपनी विरासत और संस्कृति के गौरव को संजोये हुए विकास के नए आयाम बनाए गए हैं. चाहे वह देश का पहला ग्लास ब्रिज हो या नालंदा में बन रहा खेल परिसर सभी ने बिहार की प्रगति की नई कहानियाँ लिखी हैं. पहले अपनी सड़कों के लिए देशभर में बदनाम रहा यह राज्य अब सबसे ज्यादा नेशनल हाईवे वाले राज्यों में गिना जाता है.
बिहार का पहला एक्सप्रेस-वे
बिहार को जल्द ही उसका पहला एक्सप्रेस-वे मिलने वाला है जिसका नाम आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे है. यह 189 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे राज्य के 7 जिलों और 19 शहरों को जोड़ेगा, जिससे क्षेत्रीय संपर्क और यात्रा की सुविधा में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. यह भारतमाला परियोजना के तहत निर्माण किया जा रहा है और इसके निर्माण का कार्य NHAI द्वारा किया जा रहा है.
एक्सप्रेस-वे का आरंभिक बिंदु
यह एक्सप्रेस-वे गया के आमस से शुरू होकर दरभंगा के बेला नवादा तक जाएगा. इसके छह लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होने के नाते यह बिहार के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है जो कि उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच यात्रा समय को चार घंटे तक कम कर देगा.
परियोजना की चुनौतियाँ और भविष्य की उम्मीदें
इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 56 गांवों में लगभग 1300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है. इस परियोजना की सफलता भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण संबंधी विचार और वित्तपोषण संबंधी चुनौतियों पर निर्भर करती है. नीतीश सरकार के इस दृष्टिकोण के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि यह एक्सप्रेस-वे 2025 तक तैयार हो जाएगा जिससे बिहार के विकास की नई दिशाएँ खुलेंगी.