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Dr Manmohan Singh: भारत के इस PM के नाम पर चलता था रुपया, जाने क्या थी वजह

11:34 AM Dec 29, 2024 IST | Vikash Beniwal

Dr Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. वह न केवल एक कुशल प्रशासक थे बल्कि देश के आर्थिक सुधारों के मुख्य प्रणेता भी थे. उनके कार्यकाल में भारत ने कई ऐतिहासिक आर्थिक फैसले लिए जो आज भी देश की प्रगति के आधार स्तंभ हैं.

आरबीआई गवर्नर और भारतीय नोटों पर हस्ताक्षर

डॉ. मनमोहन सिंह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Governor Tenure) के गवर्नर रहे. इस दौरान उनके हस्ताक्षर भारतीय नोटों पर देखे गए. वे देश के इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिनके हस्ताक्षर 2005 में जारी 10 रुपये के नोट पर थे, जो एक ऐतिहासिक कदम था.

1991 के आर्थिक संकट का समाधान

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली. उस समय भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit Crisis) 8.5% और चालू खाता घाटा 3.5% था. देश के पास केवल दो सप्ताह के आयात लायक विदेशी मुद्रा बची थी. इस गंभीर स्थिति में उन्होंने 1991-92 के केंद्रीय बजट के माध्यम से देश को एक नई आर्थिक दिशा दी.

नई आर्थिक नीतियां और सुधार

डॉ. सिंह के कार्यकाल में लाइसेंस राज का अंत हुआ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI in India) को बढ़ावा मिला और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण (PSU Privatization) किया गया. उन्होंने कर प्रणाली को सरल बनाया और भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया.

प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने अगले 10 वर्षों तक देश की आर्थिक नीतियों को दिशा दी. उनके कार्यकाल में भारत की आर्थिक विकास दर (India GDP Growth Rate) 9% के उच्चतम स्तर पर पहुंची. उन्होंने मनरेगा (MGNREGA Implementation) जैसी योजनाएं शुरू कीं, जिससे ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा मिला.

वैश्विक वित्तीय मंदी के दौरान नेतृत्व

2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी (Global Financial Crisis 2008) के समय, उन्होंने देश को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की. उनके कार्यकाल में ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और 'आधार' परियोजना की शुरुआत हुई.

कृषि ऋण माफी और अन्य सुधार

डॉ. सिंह ने 76,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी योजना (Farm Loan Waiver Scheme) लागू कर करोड़ों किसानों को राहत दी. इसके अलावा, भोजन का अधिकार और बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) भी उनके कार्यकाल में पारित हुए.

आर्थिक सुधारों का वैश्विक असर

डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था (India as Global Economy) के रूप में स्थापित किया. उन्होंने वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion in India) को बढ़ावा देने के लिए बैंक शाखाओं का विस्तार किया और देश के हर कोने तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाई.

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