Indian Railway: भारत के इस रूट पर चलती है देश की इकलौती प्राइवेट ट्रेन, नहीं सुना अपने भी नाम
Indian Railway: भारतीय रेलवे का इतिहास जितना विशाल है. उतनी ही रोचक है शकुंतला रेलवे की कहानी. यह एकमात्र ऐसी रेल सेवा थी जिसे भारत सरकार के अधीन नहीं बल्कि निजी स्वामित्व में संचालित किया जाता था. इस रेलवे ने भारतीय परिवहन इतिहास में अपना एक विशेष स्थान बनाया है.
शकुंतला रेलवे की स्थापना और महत्व
शकुंतला रेलवे की स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान 1910 में किलिक-निक्सन नामक ब्रिटिश कंपनी द्वारा की गई थी. यह नैरो गेज रेलवे लाइन महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तिजापुर के बीच 190 किलोमीटर लंबी थी और यह रेलवे शकुंतला एक्सप्रेस नामक पैसेंजर ट्रेन का संचालन करती थी.
ट्रेन की विशेषताएं और सेवाएं
शकुंतला एक्सप्रेस का सफर अचलपुर से यवतमाल के बीच होता था और इसे पूरे रूट को तय करने में लगभग 20 घंटे लगते थे. इस ट्रेन में कुल 5 डिब्बे होते थे और यह 17 छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती थी. जो यात्रियों के लिए एक सुगम यात्रा का विकल्प प्रदान करती थी.
अंग्रेजों का व्यावसायिक प्रयोग
अंग्रेजों के समय, इस रेलवे का मुख्य उपयोग कपास को मुंबई पोर्ट तक पहुँचाने के लिए किया जाता था. आजादी के बाद इसका उपयोग यात्री सेवाओं के लिए भी होने लगा.
शकुंतला रेलवे का समापन और विरासत
2020 में भारत सरकार ने ट्रेन सेवा को बंद कर दिया क्योंकि पटरियों की प्रणाली को बदला गया था. आज भी शकुंतला रेलवे और शकुंतला एक्सप्रेस भारतीय इतिहास में एक यादगार और महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हैं.