देसी नस्ल की ये गाय आपको बना सकती है मालामाल, दूध बेचकर कर सकते है तगड़ी कमाई
आज के युग में भारतीय युवा नई संभावनाओं की तलाश में हैं. चाहे वो ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हर जगह के युवा अब खुद का व्यवसाय शुरू करने की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं. इस प्रवृत्ति को बल मिला है उन कई सफल स्टार्टअप्स से जिन्होंने न केवल नई ऊँचाइयाँ छुई हैं बल्कि व्यावसायिक जगत में क्रांति भी लाई है. ऐसे में, अगर आप भी खुद का कुछ करने की सोच रहे हैं तो पशुपालन विशेष रूप से देसी नस्ल की गायों का पालन एक आकर्षक मौका हो सकता है.
देसी नस्ल की गायों के ज्यादा फायदे
शहडोल के प्रसिद्ध पशु चिकित्सक डॉ. आरपी गुप्ता के अनुसार देसी नस्ल की गायें न केवल बीमारियों का सामना करने में मजबूत होती हैं, बल्कि इन्हें पालने में आसानी होती है. ये गायें कम खाना खाकर भी अधिक दूध देने की क्षमता रखती हैं जो उन्हें एक लाभकारी विकल्प बनाती हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
डॉ. गुप्ता की बातों से पता चलता है कि देसी नस्ल की गायों का पालन अन्य हाइब्रिड नस्लों की तुलना में कहीं अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य है. यह न केवल पशुपालन को एक सस्ता विकल्प बनाता है, बल्कि अधिक मुनाफा भी सुनिश्चित करता है.
साहिवाल और सिंध
डॉ. गुप्ता ने साहिवाल और सिंध नस्ल की गायों के बारे में विस्तार से बताया. साहिवाल गायें, जो मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में पाई जाती हैं, उच्च दुग्ध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं और एक दिन में 15 से 20 लीटर दूध दे सकती हैं. वहीं, सिंध नस्ल जिसकी उत्पत्ति पाकिस्तान में हुई है, भी उत्कृष्ट दूध देने वाली गायों में से एक है.
गिर और अन्य नस्ल
गिर नस्ल, जो गुजरात के गिर जंगलों से आती है, अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है. ये गायें अपनी लम्बी सींगों के साथ खास पहचान रखती हैं और अच्छी मात्रा में दूध देती हैं. इसके अलावा ड्रॉट, थारपारकर, कांग्रेज जैसी अन्य नस्लें भी हैं जो दूध उत्पादन में अच्छा प्रदर्शन करती हैं.
पशुपालन से रोजगार के अवसर
डॉ. गुप्ता के अनुसार देसी नस्ल की गायों का पालन करके न केवल दूध उत्पादन से बल्कि गोबर के व्यापार से भी अच्छी कमाई की जा सकती है. यह नए उद्यमियों के लिए न केवल आय का स्रोत बन सकता है, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर मिल सकता है.