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RBI New Rule:1 जनवरी से इस टाइप के बैंक अकाउंट हो जाएंगे बंद, RBI ने बनाया खास नियम

02:52 PM Dec 31, 2024 IST | Uggersain Sharma
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RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में घोषणा की है कि जनवरी 2025 से डोरमेंट अकाउंट इनएक्टिव अकाउंट और ज़ीरो बैलेंस अकाउंट को बंद कर दिया जाएगा. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और बढ़िया बनाना है.

नई नीति

आरबीआई के इस नए नियम का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में डिजिटलीकरण (digitalization in banking) और आधुनिकीकरण (modernization) को बढ़ावा देना है. यह कदम उन खातों को लक्षित करता है जो लंबे समय से निष्क्रिय रहे हैं या जिनका उपयोग नहीं हो रहा है. इससे बैंकिंग जोखिमों (banking risks) को कम करने और वित्तीय धोखाधड़ी (financial fraud) को रोकने में मदद मिलेगी.

तीन प्रकार के खाते जो बंद होंगे

  1. डोरमेंट अकाउंट - ऐसे खाते जिनमें दो साल या उससे अधिक समय तक कोई लेनदेन नहीं हुआ हो. ये खाते वित्तीय धोखाधड़ी के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं.
  2. इनएक्टिव अकाउंट - ऐसे खाते जो लंबे समय से निष्क्रिय हैं. इन खातों को भी बंद करने का निर्णय आरबीआई ने लिया है.
  3. ज़ीरो बैलेंस अकाउंट - ऐसे खाते जिनमें लंबे समय तक कोई राशि जमा नहीं की गई हो और जिनका बैलेंस शून्य है, इन्हें भी बंद कर दिया जाएगा.

नए नियमों का उद्देश्य

आरबीआई के इस कदम के पीछे कई उद्देश्य हैं, जैसे कि धोखाधड़ी को रोकना, डिजिटल बैंकिंग (digital banking promotion) को बढ़ावा देना और केवाईसी (KYC compliance) को सशक्त बनाना. ये सभी कदम बैंकिंग प्रणाली को अधिक सुरक्षित और ग्राहकों के लिए सुलभ बनाने में मदद करेंगे.

ग्राहकों पर प्रभाव और उनके लिए सुझाव

नए नियमों का सीधा प्रभाव ग्राहकों पर पड़ेगा. उन्हें अपने बैंक खातों को सक्रिय रखना, न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना और केवाईसी दस्तावेज समय-समय पर अपडेट करना अनिवार्य होगा. इससे उनका बैंकिंग अनुभव अधिक सरल और सुरक्षित बनेगा.

केवाईसी की जरूरत

केवाईसी प्रक्रिया बैंकिंग प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है. यह वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने, ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करने और बैंकों को कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने में मदद करती है.

बैंकिंग क्षेत्र पर असर

आरबीआई के इन दिशा-निर्देशों से बैंकिंग क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे, जैसे कि संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग, सक्रिय खातों पर बेहतर सेवाएं, डिजिटल तकनीकों का उन्नयन, और डेटा प्रबंधन में सुधार.