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UP: यूपी के किसानों को अब नहीं सताएगा पराली का संकट, यूपी सरकार लाई खास योजना

02:40 PM Nov 23, 2024 IST | Vikash Beniwal

UP: उत्तर प्रदेश में पराली जलाने (Stubble Burning) से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने किसानों को सहारा देने के लिए कई पहल की हैं। हाल ही में, यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पराली प्रबंधन और वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। यह बैठक लखनऊ के लोक भवन में हुई और इसमें कृषि विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और अन्य संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया।

पराली जलाने के हानिकारक प्रभाव

मुख्य सचिव ने पराली जलाने को पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से एक तरफ प्रदूषण की समस्या बढ़ती है और दूसरी तरफ मिट्टी की उत्पादकता घटती है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है, ताकि प्रदूषण कम किया जा सके और किसानों को भी लाभ मिले।

पराली के प्रबंधन के उपाय

मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पराली को खेत में ही जैविक खाद के रूप में उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। इस विधि को इन-सीटू प्रबंधन कहा जाता है, जिसमें सीआरएम (Crop Residue Management) मशीनों का उपयोग कर पराली को मिट्टी में मिला दिया जाता है। यह विधि पर्यावरण के लिए फायदेमंद है और किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभकारी साबित हो सकती है।

इसके अलावा, यूपी सरकार ने किसानों को बेलर और मल्चर मशीनों पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। ये मशीनें पराली को सही तरीके से निपटाने में मदद करेंगी, जिससे किसानों को न केवल प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा, बल्कि उनकी फसल की उत्पादकता में भी सुधार होगा।

किसानों को सब्सिडी पर मशीनें

उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए बेलर और मल्चर मशीनों को किसानों को सब्सिडी पर देने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव ने कृषि विभाग को निर्देश दिया कि इन मशीनों के वितरण का लक्ष्य जिला कृषि अधिकारियों को दिया जाए। इसके अलावा, राज्य में बायोगैस और बिजली उत्पादन के उपायों पर भी जोर दिया गया, जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके और किसानों की आय में वृद्धि हो।

पराली प्रबंधन में सरकार की सफलता

पिछले सात वर्षों में यूपी में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट आई है। 2017 में जहां पराली जलाने के 8,784 मामले थे, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर केवल 3,996 रह गई है। इससे साफ है कि राज्य सरकार की नीतियां प्रभावी रही हैं और किसानों के बीच जागरूकता बढ़ी है।

किसानों के लिए आर्थिक लाभ

पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट के साथ-साथ किसानों को जैविक खाद बनाने और बायोमास के रूप में पराली का उपयोग करने से आर्थिक लाभ हो रहा है। सरकार द्वारा चलाए गए "खाद के बदले पराली" अभियान के तहत, किसानों से 290208.16 कुंतल पराली प्राप्त की गई है, जिसका उपयोग जैविक खाद और बायोगैस उत्पादन में किया गया है।

सीबीजी प्लांट्स और बायोगैस उत्पादन

उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 सीबीजी प्लांट्स को क्रियाशील किया है और 106 और प्लांट्स का निर्माण कार्य चल रहा है। इन प्लांट्स का उद्देश्य पराली से बायोगैस और बिजली का उत्पादन करना है, जिससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि किसानों को भी आर्थिक रूप से सहारा मिलेगा।

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