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Vegetables Price Drop: सर्दियां आते ही सब्जियों की कीमतों में गिरावट, आम जनता को मिली राहत

01:11 PM Dec 16, 2024 IST | Vikash Beniwal
vegetables price drop  सर्दियां आते ही सब्जियों की कीमतों में गिरावट  आम जनता को मिली राहत

Vegetables Price Drop: सर्दियों के आने के साथ ही बाजारों में सब्जियों के दाम में भारी गिरावट और बढ़ोतरी का दौर चल रहा है. मंडियों में सब्जियों के आयात बढ़ने से कुछ सब्जियों की कीमतों में कमी आई है वहीं कुछ में बढ़ोतरी भी देखने को मिल रही है. इस अर्तिक्ल में हम हम आपको बतायेंगे कि सर्दियों में सब्जियों की कीमतों में यह उतार-चढ़ाव क्यों हो रहा है और इसका उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ रहा है.

लहसुन और टमाटर के दामों में गिरावट

सर्दी के मौसम में विशेष रूप से लहसुन और टमाटर के दाम (garlic and tomato prices) में काफी गिरावट आई है. जहां पहले ये सब्जियां उच्च कीमतों पर बिक रही थीं वहीं अब बाजार में इनकी आपूर्ति बढ़ने के कारण कीमतें कम हो गई हैं. आने वाले दिनों में इन सब्जियों की कीमतों में और अधिक गिरावट की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं के रसोई का बजट (kitchen budget relief) हल्का हो सकता है.

हरी सब्जियों की आपूर्ति में बढ़ोतरी

आजादपुर सब्जी मंडी के विक्रेताओं के अनुसार सर्दियों के दौरान हरी सब्जियों की आपूर्ति में तेजी आई है. लोकल और दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाली सब्जियां (green vegetable supply) बाजार में पहुंच रही हैं, जिससे आलू, प्याज, और टमाटर जैसी मुख्य सब्जियों की कीमतें कम हुई हैं. इस बढ़ी हुई आपूर्ति से आने वाले समय में मटर और बींस की कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है.

मटर और भिंडी के दामों में उछाल

वहीं कुछ सब्जियों के दाम में वृद्धि भी देखी गई है. मटर की कीमतें, जो पहले ₹90 से ₹100 प्रति किलो के बीच थीं अब ₹110 से ₹120 प्रति किलो तक पहुंच गई हैं. इसी तरह भिंडी के दाम भी बढ़े हैं और अब यह सब्जी रिटेल मार्केट में ₹140 प्रति किलो की दर से बिक रही है (pea and okra price hike). यह बढ़ोतरी का मौसम असर और उत्पादन में कमी के कारण हो सकती है.

उपभोक्ताओं पर असर और बाजार की प्रतिक्रिया

इस तरह के उतार-चढ़ाव से उपभोक्ताओं को कई तरह की चुनौतियां और राहत दोनों ही मिल रही हैं. कुछ सब्जियों की कीमतों में कमी से जहां उपभोक्ता संतुष्ट हैं, वहीं कुछ की बढ़ती कीमतें उन्हें परेशान कर रही हैं. बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि इन परिवर्तनों का मुख्य कारण मौसमी बदलाव, आपूर्ति में वृद्धि या कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के प्रभाव हैं. उपभोक्ताओं को इस तरह के बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए और अपने खर्चे की योजना इसी अनुसार बनानी चाहिए.

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