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Expressway: 4 राज्यों में कनेक्टिविटी बढ़ाएगा यह नया मार्ग, देखें रूट मेप

05:43 PM Oct 31, 2024 IST | Vikash Beniwal

Expressway: बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारत के महत्वपूर्ण और बड़े सड़क परियोजनाओं में से एक है, जो उत्तर भारत और पूर्वी भारत की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। इस परियोजना का पहला चरण शुरू हो चुका है और यह न केवल यात्रा को तेज बनाएगा, बल्कि किसानों और स्थानीय निवासियों के लिए भी कई लाभ लेकर आएगा। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई करीब 600 किलोमीटर होने की उम्मीद है, जिससे बनारस और कोलकाता के बीच यात्रा का समय कम हो जाएगा।

पहले चरण की शुरुआत

बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के पहले चरण में 27 किलोमीटर का कार्य शुरू किया गया है, और यह कार्य एनकेसी प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम द्वारा किया जाएगा। इस चरण में जमीन की सफाई और समतलीकरण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। निर्माण कार्य की गति को देखते हुए यह अनुमान है कि नवंबर 2026 तक इस रोड के छह लेन का निर्माण पूरा हो जाएगा। इस एक्सप्रेसवे का पहला चरण दौली से शुरू होकर खैती कैमूर तक पहुंचेगा।

सड़क परियोजना का महत्व और कनेक्टिविटी

यह एक्सप्रेसवे रेवासा चंदौली से शुरू होकर खैती कैमूर में समाप्त होगा, जिससे बनारस और कोलकाता के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। रेवासा में रिंग रोड का दूसरा चरण भी पूरा हो चुका है, जो गंगा नदी पर बने पुल के साथ जुड़ेगा। फरवरी 2025 तक इस रिंग रोड के कई महत्वपूर्ण हाईवे कनेक्ट हो जाएंगे, जिससे यातायात में तेजी आएगी।

परियोजना की रुकावटें और एनजीटी की आपत्ति

इस परियोजना में शुरुआती रुकावटें एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की आपत्ति के कारण आईं। पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद, 12 नवंबर 2023 को काम शुरू करने के लिए पत्र जारी किया गया। हालांकि, किसानों की आपत्ति के कारण दूसरे और तीसरे चरण का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इन चरणों में सड़क निर्माण का कार्य तब तक नहीं हो सकता जब तक मुआवजा राशि पर विवाद नहीं सुलझता।

निर्माण कार्य की लागत और टोल प्लाजा

पहले चरण की कुल लागत लगभग 994 करोड़ रुपये है, जिसमें 40% बजट केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा और 60% राशि निर्माण कंपनी द्वारा लगाई जाएगी। इस लागत को 15 साल के भीतर किस्तों में कंपनी को लौटाया जाएगा। देवई गांव में टोल प्लाजा का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो इस एक्सप्रेसवे के उपयोग को प्रबंधित करेगा।

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